क्या आप बलिया गांव के बारे में जानना चाहते हैं? Ballia ka sabse bada gaon कौन है? अक्षर लोगों के मन में यह सवाल बताएं कि बलिया का सबसे बड़ा गांव कौन है और बलिया में कितने गांव है| आज हम इस पोस्ट के माध्यम से आपको बताएंगे कि बलिया में सबसे बड़ा गांव कौन है और टोटल कितने गांव बसे हुए हैं और भी बहुत कुछ जो भी आप बलिया के बारे में जानना चाहते हैं|
उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा पर स्थित नौरंगा गांव की कहानी बड़ी दिलचस्प है। लगभग 40 हजार की आबादी वाले इस गांव का आधा हिस्सा यूपी में और आधा बिहार में है। यहां के निवासी रोहित कुमार यादव को अपने ही तहसील तक पहुँचने के लिए करीब 120 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ा। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा क्यों?
गाँव का विभाजन और रोहित की परेशानी
दिसंबर 2020 की बात है, जब रोहित को निवास प्रमाण पत्र बनवाना था क्योंकि उन्हें छात्रवृत्ति की जरूरत थी। अगर गंगा नदी पर पीपा पुल बना होता, तो उनकी दूरी सिर्फ 20 किलोमीटर होती। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्हें गाँव की पगडंडी से छह किलोमीटर पैदल चलकर चक्की नौरंगा बाजार (बिहार) पहुँचना पड़ा। वहां से यात्रियों से खचाखच भरी मिनी बस में लटकते हुए आरा के ब्रम्हपुर पहुँचे, फिर बक्सर और अंत में बलिया होते हुए अपनी तहसील बैरिया पहुंचे।
पहली बार में नहीं हुआ काम
रोहित का काम पहली बार में नहीं हुआ। जनवरी में दूसरी बार उन्होंने फिर से ये लंबा सफर तय किया, लेकिन इस बार भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी। तंग आकर उन्होंने प्रमाण पत्र बनवाने की कोशिश ही छोड़ दी। रोहित बताते हैं कि अफसरों ने उनकी एक नहीं सुनीं, सिर्फ दौड़ाया। इतनी मुश्किलों के बाद भी उनका काम नहीं हो पाया। यह समस्या सिर्फ रोहित की नहीं है, बल्कि हजारों लोग इसी परेशानी से गुजर रहे हैं।
गाँव का इतिहास और भूगोल
बैरिया विधानसभा क्षेत्र के नौरंगा में 7800 मतदाता हैं। विधायक सुरेंद्र सिंह हैं। गांव में पुरवे नौरंगा, चक्की नौरंगा, भुवाल छपरा, उदयी छपरा के डेरा हैं। गाँव का मुख्य धंधा खेती और पशुपालन है। एक माह पहले ही विधायक के प्रयास से बिजली आई है, लेकिन सड़कों का अभी भी अभाव है। गांव में एक राजकीय इंटर कॉलेज का निर्माण हो रहा है, जो 2019 में उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने मंजूर किया था। पांच प्राथमिक और एक मिडिल स्कूल हैं, लेकिन शिक्षकों की पढ़ाई के प्रति गंभीरता नहीं है।
एक बाजार, दो राज्य
यूपी और बिहार दोनों राज्यों के लोग चक्की नौरंगा बाजार से अपनी आवश्यकताएं पूरी करते हैं। बाजार की सड़क का एक हिस्सा बिहार के आरा भोजपुर शाहपुर के परसौंडा गांव की सीमा में और दूसरा बलिया यूपी के बैरिया ब्लाक के पंचायत नौरंगा में आता है। नौरंगा चक्की नाम से बिहार और यूपी दोनों में पुरवा हैं। नौरंगा अस्पताल में डॉक्टर की जगह बकरियां बैठी मिलती हैं। ज्यादा तबीयत खराब होने पर लोग बिहार के गौरा, ब्रह्मपुर या आरा जाते हैं।
निष्कर्ष
आजादी के बाद से इस गाँव के लोगों के हिस्से में सिर्फ मुसीबतें आई हैं। हर चुनाव में विकास के वादे किए जाते हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। यूपी और बिहार की सरकारें यहाँ बराबर चलती हैं, लेकिन विकास का नामोनिशान नहीं है।
नौरंगा गांव की यह अनोखी कहानी बताती है कि कैसे एक गांव दो राज्यों में बंटा हुआ होने के कारण लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह कहानी सिर्फ रोहित की नहीं, बल्कि उन हजारों लोगों की है जो रोजाना इसी तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं।
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बलिया गांव का नक्शा
बलिया जिला में कुल कितने थाना है?
बहुत समय पहले बलिया जिला में 23 थाने हुआ करते थे लेकिन बदलते समय के अनुसार अपराधों को रोकने के लिए अभी बलिया क्षेत्र में कल 42 थाने हैं|
बलिया में कुल कितने गांव हैं?
2011 की जनगणना के अनुसार, उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में कुल 2361 गाँव हैं। ये गाँव विभिन्न तहसीलों में विभाजित हैं, जैसे बैरिया, बलिया, बांसडीह, बेल्थरा रोड, रसरा और सिकंदरपुर। बलिया में कई प्रसिद्ध गाँव और क्षेत्र भी हैं, जैसे नवानगर, हुसैनपुर, जाजोली, रसड़ा, मालदह आदि।
बलिया जिला में 17 ब्लॉक है।
लिया लोकसभा क्षेत्र के पांच विधानसभा क्षेत्रों में से एक है।