पुणे के कल्याणी नगर में रविवार की रात लगभग ढाई बजे एक पोर्शे कार की टक्कर से जान गंवाने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर अनीस अवधिया का शव सोमवार देर रात उनके गृह जिले मप्र के उमरिया के बिरसिंहपुर पाली पहुंचा। बेटे का शव देखकर पिता ओमप्रकाश और दादा आत्माराम अवधिया का रो-रो कर बुरा हाल हो गया।
दादा आत्माराम ने नाराजगी जताते हुए कहा कि दुर्घटना के आरोपी नाबालिग को किशोर न्याय बोर्ड द्वारा मात्र 14 घंटे के भीतर ही सड़क दुर्घटनाओं पर निबंध लिखने और अन्य शर्तों के साथ जमानत मिलना न्याय का मजाक है। उन्होंने पूछा, “मेरे 23 साल के पोते की मौत पर आरोपी को तीन सौ शब्दों के निबंध पर जमानत देना कैसा न्याय है?” उन्होंने पोते के लिए सख्त न्याय की मांग की है। मंगलवार को अनीस के छोटे भाई देवेश ने अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की।
अनीस, जबलपुर निवासी अपनी महिला मित्र अश्विनी कोष्टा के साथ बाइक से लौट रहे थे जब यह हादसा हुआ। बेलगाम गति से आ रही पोर्शे कार ने दोनों को कुचल दिया, जिससे दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। यह कार पुणे के एक बड़े बिल्डर का नाबालिग पुत्र चला रहा था, जिसे किशोर न्याय बोर्ड ने घटना के 14 घंटे के भीतर ही जमानत दे दी थी।
कोर्ट ने नाबालिग को सड़क दुर्घटनाओं पर निबंध लिखने सहित अन्य सामान्य शर्तों पर छोड़ दिया। इस बीच, मंगलवार सुबह नाबालिग के बिल्डर पिता विशाल अग्रवाल को संभाजीनगर से गिरफ्तार कर लिया गया है। इसके साथ ही जिस बार से शराब पीकर नाबालिग निकला था, उसके मालिक और मैनेजर को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। अश्विनी कोष्टा का शव भी सोमवार को जबलपुर पहुंचा, जहां उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
यह घटना पुणे और उमरिया जिले में गहरे दुख और नाराजगी का कारण बनी है, और परिवार के सदस्य न्याय की मांग कर रहे हैं।